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ख़ुदा की जमा'अत में ख़ुदा मौजूद है।
वह इलाहों के बीच 'अदालत करता है:
“तुम कब तक बेइन्साफ़ी से 'अदालत करोगे,
और शरीरों की तरफ़दारी करोगे? सिलाह
ग़रीब और यतीम का इन्साफ़ करो,
ग़मज़दा और मुफ़लिस के साथ इन्साफ़ से पेश आओ।
ग़रीब और मोहताज को बचाओ;
शरीरों के हाथ से उनको छुड़ाओ।”
वह न तो कुछ जानते हैं न समझते हैं,
वह अंधेरे में इधर उधर चलते हैं;
ज़मीन की सब बुनियादें हिल गई हैं।
मैंने कहा था, “तुम इलाह हो,
और तुम सब हक़ता'ला के फ़र्ज़न्द हो;
तोभी तुम आदमियों की तरह मरोगे,
और 'उमरा में से किसी की तरह गिर जाओगे।”
ऐ ख़ुदा! उठ ज़मीन की 'अदालत कर
क्यूँकि तू ही सब क़ौमों का मालिक होगा।