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अय्यूब का लगातार अपने बेकसूर होने के लिये झगड़ना 
 1 मेरी जान तबाह हो गई मेरे दिन हो चुके क़ब्र मेरे लिए तैय्यार है। 
 2 यक़ीनन हँसी उड़ाने वाले मेरे साथ साथ हैं, 
और मेरी आँख उनकी छेड़छाड़ पर लगी रहती है। 
 3 ज़मानत दे, अपने और मेरे बीच में तू ही ज़ामिन हो। 
कौन है जो मेरे हाथ पर हाथ मारे? 
 4 क्यूँकि तूने इनके दिल को समझ से रोका है, 
इसलिए तू इनको सरफ़राज़ न करेगा। 
 5 जो लूट की ख़ातिर अपने दोस्तों को मुल्ज़िम ठहराता है, 
उसके बच्चों की आँखें भी जाती रहेंगी। 
 6 उसने मुझे लोगों के लिए ज़रबुल मिसाल बना दिया हैं: 
और मैं ऐसा हो गया कि लोग मेरे मुँह पर थूकें। 
 7 मेरी आँखे ग़म के मारे धुंदला गई, 
और मेरे सब 'आज़ा परछाईं की तरह है। 
 8 रास्तबाज़ आदमी इस बात से हैरान होंगे 
और मा'सूम आदमी बे ख़ुदा लोगों के ख़िलाफ़ जोश में आएगा 
 9 तोभी सच्चा अपनी राह में साबित क़दम रहेगा और जिसके हाथ साफ़ हैं, 
वह ताक़तवर ही होता जाएगा 
 10 लेकिन तुम सब के सब आते हो तो आओ, 
मुझे तुम्हारे बीच एक भी आदमी 'अक़्लमन्द न मिलेगा। 
 11 मेरे दिन तो बीत चुके, और मेरे मक़सद मिट गए 
और जो मेरे दिल में था, वह बर्बाद हुआ है। 
 12 वह रात को दिन से बदलते हैं, 
वह कहतें है रोशनी तारीकी के नज़दीक है। 
 13 अगर में उम्मीद करूँ कि पाताल मेरा घर है, 
अगर मैंने अँधेरे में अपना बिछौना बिछा लिया है। 
 14 अगर मैंने सड़ाहट से कहा है कि तू मेरा बाप है, 
और कीड़े से कि तू मेरी माँ और बहन है 
 15 तोमेरी उम्मीद कहाँ रही, 
और जो मेरी उम्मीद है, उसे कौन देखेगा 
 16 वह पाताल के फाटकों तक नीचे उतर जाएगी 
जब हम मिलकर ख़ाक में आराम पाएँगे।”