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दारा बादशाह यहूदियों की मदद करता है
तब दारा बादशाह ने हुक्म दिया कि बाबल के ख़ज़ाने के दफ़्तर में तफ़तीश की जाए। इसका खोज लगाते लगाते आख़िरकार मादी शहर इक्बताना के क़िले में तूमार मिल गया जिसमें लिखा था,
“ख़ोरस बादशाह की हुकूमत के पहले साल में शहनशाह ने हुक्म दिया कि यरूशलम में अल्लाह के घर को उस की पुरानी जगह पर नए सिरे से तामीर किया जाए ताकि वहाँ दुबारा क़ुरबानियाँ पेश की जा सकें। उस की बुनियाद रखने के बाद उस की ऊँचाई 90 और चौड़ाई 90 फ़ुट हो। दीवारों को यों बनाया जाए कि तराशे हुए पत्थरों के हर तीन रद्दों के बाद देवदार के शहतीरों का एक रद्दा लगाया जाए। अख़राजात शाही ख़ज़ाने से पूरे किए जाएँ। नीज़ सोने-चाँदी की जो चीज़ें नबूकदनज़्ज़र यरूशलम के इस घर से निकालकर बाबल लाया वह वापस पहुँचाई जाएँ। हर चीज़ अल्लाह के घर में उस की अपनी जगह पर वापस रख दी जाए।”
यह ख़बर पढ़कर दारा ने दरियाए-फ़ुरात के मग़रिबी इलाक़े के गवर्नर तत्तनी, शतर-बोज़नी और उनके हमख़िदमत अफ़सरों को ज़ैल का जवाब भेज दिया,
“अल्लाह के इस घर की तामीर में मुदाख़लत मत करना! लोगों को काम जारी रखने दें। यहूदियों का गवर्नर और उनके बुज़ुर्ग अल्लाह का यह घर उस की पुरानी जगह पर तामीर करें।
न सिर्फ़ यह बल्कि मैं हुक्म देता हूँ कि आप इस काम में बुज़ुर्गों की मदद करें। तामीर के तमाम अख़राजात वक़्त पर मुहैया करें ताकि काम न रुके। यह पैसे शाही ख़ज़ाने यानी दरियाए-फ़ुरात के मग़रिबी इलाक़े से जमा किए गए टैक्सों में से अदा किए जाएँ। रोज़ बरोज़ इमामों को भस्म होनेवाली क़ुरबानियों के लिए दरकार तमाम चीज़ें मुहैया करते रहें, ख़ाह वह जवान बैल, मेंढे, भेड़ के बच्चे, गंदुम, नमक, मै या ज़ैतून का तेल क्यों न माँगें। इसमें सुस्ती न करें 10 ताकि वह आसमान के ख़ुदा को पसंदीदा क़ुरबानियाँ पेश करके शहनशाह और उसके बेटों की सलामती के लिए दुआ कर सकें।
11 इसके अलावा मैं हुक्म देता हूँ कि जो भी इस फ़रमान की ख़िलाफ़वरज़ी करे उसके घर से शहतीर निकालकर खड़ा किया जाए और उसे उस पर मसलूब किया जाए। साथ साथ उसके घर को मलबे का ढेर बनाया जाए। 12 जिस ख़ुदा ने वहाँ अपना नाम बसाया है वह हर बादशाह और क़ौम को हलाक करे जो मेरे इस हुक्म की ख़िलाफ़वरज़ी करके यरूशलम के घर को तबाह करने की जुर्रत करे। मैं, दारा ने यह हुक्म दिया है। इसे हर तरह से पूरा किया जाए।”
रब के घर की मख़सूसियत
13 दरियाए-फ़ुरात के मग़रिबी इलाक़े के गवर्नर तत्तनी, शतर-बोज़नी और उनके हमख़िदमत अफ़सरों ने हर तरह से दारा बादशाह के हुक्म की तामील की। 14 चुनाँचे यहूदी बुज़ुर्ग रब के घर पर काम जारी रख सके। दोनों नबी हज्जी और ज़करियाह बिन इद्दू अपनी नबुव्वतों से उनकी हौसलाअफ़्ज़ाई करते रहे, और यों सारा काम इसराईल के ख़ुदा और फ़ारस के बादशाहों ख़ोरस, दारा और अर्तख़शस्ता के हुक्म के मुताबिक़ ही मुकम्मल हुआ।
15 रब का घर दारा बादशाह की हुकूमत के छटे साल में तकमील तक पहुँचा। अदार के महीने का तीसरा दिन *12 मार्च। था। 16 इसराईलियों ने इमामों, लावियों और जिलावतनी से वापस आए हुए इसराईलियों समेत बड़ी ख़ुशी से रब के घर की मख़सूसियत की ईद मनाई। 17 उन्होंने 100 बैल, 200 मेंढे और भेड़ के 400 बच्चे क़ुरबान किए। पूरे इसराईल के लिए गुनाह की क़ुरबानी भी पेश की गई, और इसके लिए फ़ी क़बीला एक बकरा यानी मिलकर 12 बकरे चढ़ाए गए। 18 फिर इमामों और लावियों को रब के घर की ख़िदमत के मुख़्तलिफ़ गुरोहों में तक़सीम किया गया, जिस तरह मूसा की शरीअत हिदायत देती है।
इसराईली फ़सह की ईद मनाते हैं
19 पहले महीने के 14वें दिन 21 अप्रैल। जिलावतनी से वापस आए हुए इसराईलियों ने फ़सह की ईद मनाई। 20 तमाम इमामों और लावियों ने अपने आपको पाक-साफ़ कर रखा था। सबके सब पाक थे। लावियों ने फ़सह के लेले जिलावतनी से वापस आए हुए इसराईलियों, उनके भाइयों यानी इमामों और अपने लिए ज़बह किए। 21 लेकिन न सिर्फ़ जिलावतनी से वापस आए हुए इसराईली इस खाने में शरीक हुए बल्कि मुल्क के वह तमाम लोग भी जो ग़ैरयहूदी क़ौमों की नापाक राहों से अलग होकर उनके साथ रब इसराईल के ख़ुदा के तालिब हुए थे। 22 उन्होंने सात दिन बड़ी ख़ुशी से बेख़मीरी रोटी की ईद मनाई। रब ने उनके दिलों को ख़ुशी से भर दिया था, क्योंकि उसने फ़ारस के बादशाह का दिल उनकी तरफ़ मायल कर दिया था ताकि उन्हें इसराईल के ख़ुदा के घर को तामीर करने में मदद मिले।

*6:15 12 मार्च।

6:19 21 अप्रैल।