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बलि-भेँड़ा छओटा छाप खोलैत छथि
1 हम देखलहुँ जे बलि-भेँड़ा ओहि सातटा छाप मे सँ एकटा केँ खोललनि। तखन ओहि चारू जीवित प्राणी मे सँ एकटा केँ एहन आवाज मे, जे मेघक गर्जन जकाँ लगैत छल, ई कहैत सुनलहुँ जे, “आउ!” 2 तखन हमरा एकटा उज्जर घोड़ा देखाइ देलक। ओहि पर जे सवार छल, से धनुष लेने छल। ओकरा एक विजय-मुकुट देल गेलैक आ ओ विजयी भऽ कऽ आरो विजय प्राप्त करबाक लेल निकलि गेल।
3 जखन बलि-भेँड़ा दोसर छाप केँ खोललनि तँ दोसर जीवित प्राणी केँ हम ई कहैत सुनलहुँ जे “आउ!” 4 आब लाल रंगक एकटा घोड़ा बहरायल। ओकर सवार केँ ई अधिकार देल गेलैक जे ओ पृथ्वी पर सँ शान्ति उठा लय, जाहि सँ लोक एक-दोसर केँ खून करऽ लागय। ओकरा एकटा बड़का तरुआरि देल गेलैक।
5 जखन बलि-भेँड़ा तेसर छाप खोललनि, तँ हम तेसर जीवित प्राणी केँ ई कहैत सुनलहुँ जे, “आउ!” आब हमरा एकटा कारी घोड़ा देखाइ देलक। ओहि पर जे सवार छल, तकरा हाथ मे तराजू छलैक। 6 तखन हमरा एकटा आवाज सुनाइ देलक जे ओहि चारू जीवित प्राणीक बीच सँ अबैत बुझायल, जे ई कहि रहल छल, “दिन भरिक मजदूरी एक सेर गहुम! दिन भरिक मजदूरी तीन सेर जौ! मुदा जैतूनक तेल आ अंगूरक मदिरा केँ नोकसान नहि करिहह।”
7 जखन ओ चारिम छाप खोललनि तँ हम चारिम जीवित प्राणी केँ ई कहैत सुनलहुँ जे, “आउ!” 8 और हमरा आँखिक सामने एकटा पिअर सन हलका रंगक घोड़ा देखाइ देलक। ओकर सवारक नाम मृत्यु छलैक आ ओकरा पाछाँ-पाछाँ पाताल* 6:8 मूल मे, “हेडीस”, अर्थात्, “मरल सभक वास-स्थान” छलैक। ओकरा सभ केँ पृथ्वीक जनसंख्याक एक चौथाइ भाग पर अधिकार देल गेलैक जे, तरुआरि, अकाल, महामारी आ पृथ्वीक जंगली जानबर सभ द्वारा मारय।
9 जखन बलि-भेँड़ा पाँचम छाप खोललनि तखन हम वेदीक नीचाँ मे ओहि लोक सभक आत्मा सभ केँ देखलहुँ, जे सभ परमेश्वरक वचन पर अटल रहबाक कारणेँ आ तकर गवाही देबाक कारणेँ मारल गेल छलाह। 10 ओ सभ जोर सँ आवाज देलनि जे, “हे स्वामी, अहाँ जे पवित्र आ सत्य छी, अहाँ कहिया तक पृथ्वीक निवासी सभक न्याय कऽ कऽ हमरा सभक खूनक बदला नहि लेब?” 11 हुनका सभ मे प्रत्येक केँ उज्जर वस्त्र देल गेलनि आ कहल गेलनि जे, “किछु समय तक आओर विश्राम करह, जाबत धरि तोरा सभक ओहि संगी-सेवक आ भाय सभक संख्या नहि पुरि जाइत छह, जे सभ तोरे सभ जकाँ मारल जायत।”
12 जखन बलि-भेँड़ा छठम छाप खोललनि, तँ हम देखलहुँ जे बड़का भूकम्प भेल। सूर्य रोंइयाँ सँ बनल कम्बल जकाँ कारी, आ चन्द्रमा खून जकाँ लाल भऽ गेल। 13 आकाशक तारा सभ पृथ्वी पर एना खसल जेना अन्हड़-बिहारि मे अंजीरक काँच फल सभ खसि पड़ैत अछि। 14 आकाश एना विलीन भऽ गेल, जेना ओ कोनो कपड़ा होअय जकरा केओ लपेटि कऽ हटा देने होइक। प्रत्येक पहाड़ आ द्वीप अपना-अपना स्थान सँ हटि गेल। 15 तखन पृथ्वीक राजा, शासक, सेनापति, धनवान आ सामर्थी लोक, और प्रत्येक दास आ स्वतन्त्र व्यक्ति—सभ केँ सभ पहाड़ सभक गुफा सभ मे आ चट्टान सभ मे जा कऽ नुका रहल। 16 और ओ सभ पहाड़ सभ आ चट्टान सभ सँ कहऽ लागल जे, “हमरा सभ पर खसि पड़, आ हमरा सभ केँ हुनका नजरि सँ, जे सिंहासन पर विराजमान छथि, आ बलि-भेँड़ाक क्रोध सँ नुका दे! 17 किएक तँ हुनका लोकनिक क्रोधक भयानक दिन आबि गेल अछि, आ के अछि जे तकर सामना कऽ सकत?”