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यीशु मूसा सँ श्रेष्ठ
1 तेँ यौ पवित्र भाइ लोकनि जे सभ परमेश्वरक बजाओल लोक मे सम्मिलित छी, अहाँ सभ अपन ध्यान यीशु पर केन्द्रित करू, जिनका अपना सभ परमेश्वरक विशिष्ट दूत आ अपना सभक महापुरोहितक रूप मे खुलि कऽ स्वीकार करैत छी। 2 जहिना मूसा परमेश्वरक घरक लोकक बीच सभ काज मे विश्वासयोग्य बनल रहलाह तहिना यीशु अपन नियुक्त कयनिहारक, अर्थात् परमेश्वरक, प्रति विश्वासयोग्य बनल रहलाह। 3 जहिना घर सँ घरक बनौनिहारे बेसी आदरणीय होइत अछि तहिना यीशु मूसा सँ अधिक आदर पयबाक योग्य ठहराओल गेल छथि। 4 प्रत्येक घर तँ ककरो ने ककरो द्वारा बनाओल जाइत अछि, मुदा सभ वस्तु केँ बनाबऽ वला परमेश्वरे छथि। 5 मूसा भविष्य मे सुनाओल जाय वला बातक साक्षी दऽ कऽ परमेश्वरक घरक लोकक बीच सभ काज मे सेवकक रूप मे विश्वासयोग्य छलाह। 6 मुदा मसीह तँ पुत्रक रूप मे परमेश्वरक घरक अधिकारी भऽ विश्वासयोग्य छथि। जँ अपना सभ अपन साहस मे आ ओहि आशा मे जे अपना सभक गौरव अछि, अन्त तक स्थिर रहब तँ अपना सभ स्वयं परमेश्वरक घरक लोक छी।
विश्वासक प्रतिफल—विश्राम मे प्रवेश
7 तेँ जहिना पवित्र आत्मा धर्मशास्त्र मे कहैत छथि तहिना,
“आइ जँ तोँ सभ परमेश्वरक आवाज सुनबह,
8 तँ अपन मोन ओना जिद्दी नहि बनाबह
जेना तोहर सभक पुरखा सभ विद्रोह करैत
निर्जन क्षेत्र मे परीक्षाक समय मे कयलकह।
9 ओतऽ ओ सभ कसौटी पर हमर जाँच कयलक
जखन कि चालिस वर्ष धरि हमर काज सभ देखने छल।
10 ताहि सँ हम ओहि पीढ़ीक लोक पर क्रोधित भऽ कहलहुँ,
एकरा सभक मोन सदत भटकैत रहैत छैक,
और ई सभ हमर विचार-व्यवहार बुझऽ नहि चाहलक।
11 तेँ हम क्रोध मे सपत खाइत कहलहुँ जे,
‘ई सभ हमर विश्राम मे कहियो नहि प्रवेश कऽ पाओत।’ ”* 3:11 भजन 95:7-11
12 यौ भाइ लोकनि, सावधान रहू, कहीं एना नहि होअय जे अहाँ सभ मे सँ ककरो मोन एहन दुष्ट आ अविश्वासी भऽ जाय जाहि सँ ओ जीवित परमेश्वर केँ छोड़ि दय। 13 मुदा जाहि सँ अहाँ सभ मे सँ केओ पापक छल मे पड़ि कऽ जिद्दी नहि भऽ जाइ ताहि लेल अहाँ सभ जाबत धरि “आइ”क दिन कहबैत अछि ताबत धरि प्रत्येक दिन एक-दोसर केँ उत्साहित करैत रहू। 14 अपना सभ जँ अन्त तक ओ भरोसा जकरा संग शुरू मे शुभ समाचार पर विश्वास कयलहुँ ताहि मे अटल रही, तँ अपना सभ मसीहक संग सहभागी भऽ गेल छी। 15 जेना कि ऊपरो कहल गेल अछि जे,
“आइ जँ तोँ सभ परमेश्वरक आवाज सुनबह
तँ अपन मोन ओना जिद्दी नहि बनाबह
जेना तोहर सभक पुरखा सभ विद्रोह करैत कयलकह।”† 3:15 भजन 95:7, 8
16 परमेश्वरक आवाज सुनि कऽ के सभ विद्रोह कयलक? की ओ सभ वैह लोक नहि छल जकरा सभ केँ मूसा मिस्र देश सँ बाहर निकाललनि? 17 परमेश्वर ककरा सभ सँ चालिस वर्ष धरि क्रोधित रहलथिन? की ओकरे सभ सँ नहि जे सभ पाप कयलक आ जकरा सभक लासक ढेरी निर्जन क्षेत्र मे लागि गेल? 18 परमेश्वर सपत खाइत ककरा सम्बन्ध मे कहलनि जे, ई सभ हमर विश्राम मे प्रवेश नहि करऽ पाओत? की तकरे सभक सम्बन्ध मे नहि जे सभ हुनकर आज्ञा नहि मानलकनि? 19 एहि तरहेँ अपना सभ देखैत छी जे ओ सभ अविश्वासक कारणेँ ओहि स्थान मे नहि पहुँचि सकल जतऽ ओकरा सभ केँ विश्राम भेटितैक।