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सिय्योन की अधोगति 
 1 सोना कैसे खोटा हो गया, अत्यन्त खरा सोना कैसे बदल गया है? 
पवित्रस्थान के पत्थर तो हर एक सड़क के सिरे पर फेंक दिए गए हैं। 
 2 सिय्योन के उत्तम पुत्र जो कुन्दन के तुल्य थे, 
वे कुम्हार के बनाए हुए मिट्टी के घड़ों के समान कैसे तुच्छ गिने गए हैं! 
 3 गीदड़िन भी अपने बच्चों को थन से लगाकर पिलाती है, 
परन्तु मेरे लोगों की बेटी वन के शुतुर्मुर्गों के तुल्य निर्दयी हो गई है। 
 4 दूध-पीते बच्चों की जीभ प्यास के मारे तालू में चिपट गई है; 
बाल-बच्चे रोटी माँगते हैं, परन्तु कोई उनको नहीं देता। 
 5 जो स्वादिष्ट भोजन खाते थे, वे अब सड़कों में व्याकुल फिरते हैं; 
जो मखमल के वस्त्रों में पले थे अब घूरों पर लेटते हैं। 
 6 मेरे लोगों की बेटी का अधर्म सदोम के पाप से भी अधिक हो गया 
जो किसी के हाथ डाले बिना भी क्षण भर में उलट गया था। 
 7 उसके कुलीन हिम से निर्मल और दूध से भी अधिक उज्जवल थे; 
उनकी देह मूँगों से अधिक लाल, और उनकी सुन्दरता नीलमणि की सी थी। 
 8 परन्तु अब उनका रूप अंधकार से भी अधिक काला है, वे सड़कों में पहचाने नहीं जाते; 
उनका चमड़ा हड्डियों में सट गया, और लकड़ी के समान सूख गया है। 
 9 तलवार के मारे हुए भूख के मारे हुओं से अधिक अच्छे थे 
जिनका प्राण खेत की उपज बिना भूख के मारे सूखता जाता है। 
 10 दयालु स्त्रियों ने अपने ही हाथों से अपने बच्चों को पकाया है; 
मेरे लोगों के विनाश के समय वे ही उनका आहार बन गए। 
 11 यहोवा ने अपनी पूरी जलजलाहट प्रगट की, 
उसने अपना कोप बहुत ही भड़काया; 
और सिय्योन में ऐसी आग लगाई जिससे 
उसकी नींव तक भस्म हो गई है। 
 12 पृथ्वी का कोई राजा या जगत का कोई निवासी 
इसका कभी विश्वास न कर सकता था, 
कि द्रोही और शत्रु यरूशलेम के फाटकों के भीतर घुसने पाएँगे। 
 13 यह उसके भविष्यद्वक्ताओं के पापों और उसके याजकों के अधर्म के कामों के कारण हुआ है; 
क्योंकि वे उसके बीच धर्मियों की हत्या करते आए हैं। 
 14  वे अब सड़कों में अंधे सरीखे मारे-मारे फिरते हैं* 4:14 वे अब सड़कों में अंधे सरीखे मारे-मारे फिरते हैं: परमेश्वर के सेवक जिनको उसकी सेवा के लिए अभिषेक किया गया था नगर में भटक रहे थे नरसंहार की अदम्य लालसा से अंधे होकर। उनके वस्त्र का स्पर्श भी अशुद्धता थी। , 
और मानो लहू की छींटों से यहाँ तक अशुद्ध हैं 
कि कोई उनके वस्त्र नहीं छू सकता। 
 15 लोग उनको पुकारकर कहते हैं, “अरे अशुद्ध लोगों, हट जाओ! हट जाओ! हमको मत छूओ” 
जब वे भागकर मारे-मारे फिरने लगे, 
तब अन्यजाति लोगों ने कहा, “भविष्य में वे यहाँ टिकने नहीं पाएँगे।” 
 16  यहोवा ने अपने कोप से उन्हें तितर-बितर किया† 4:16 यहोवा ने अपने कोप से उन्हें तितर-बितर किया: शब्दशः अनुवाद है, परमेश्वर के रोष ने उन्हें तितर-बितर किया- उन निरंकुश पुरोहितों को भटकने पर विवश किया और वह फिर उन पर दयादृष्टि न करेगा। , वह फिर उन पर दयादृष्टि न करेगा; 
न तो याजकों का सम्मान हुआ, और न पुरनियों पर कुछ अनुग्रह किया गया। 
 17 हमारी आँखें व्यर्थ ही सहायता की बाट जोहते-जोहते धुँधली पड़ गई हैं, 
हम लगातार एक ऐसी जाति की ओर ताकते रहे जो बचा नहीं सकी। 
 18 लोग हमारे पीछे ऐसे पड़े कि हम अपने नगर के चौकों में भी नहीं चल सके; 
हमारा अन्त निकट आया; हमारी आयु पूरी हुई; क्योंकि हमारा अन्त आ गया था। 
 19 हमारे खदेड़नेवाले आकाश के उकाबों से भी अधिक वेग से चलते थे; 
वे पहाड़ों पर हमारे पीछे पड़ गए और जंगल में हमारे लिये घात लगाकर बैठ गए। 
 20 यहोवा का अभिषिक्त जो हमारा प्राण था, 
और जिसके विषय हमने सोचा था कि अन्यजातियों के बीच हम उसकी शरण में जीवित रहेंगे, 
वह उनके खोदे हुए गड्ढों में पकड़ा गया। 
 21 हे एदोम की पुत्री, तू जो ऊस देश में रहती है, हर्षित और आनन्दित रह; 
परन्तु यह कटोरा तुझ तक भी पहुँचेगा, और तू मतवाली होकर अपने आपको नंगा करेगी। 
 22 हे सिय्योन की पुत्री, तेरे अधर्म का दण्ड समाप्त हुआ, वह फिर तुझे बँधुआई में न ले जाएगा; 
परन्तु हे एदोम की पुत्री, तेरे अधर्म का दण्ड वह तुझे देगा, वह तेरे पापों को प्रगट कर देगा। 
*4:14 4:14 वे अब सड़कों में अंधे सरीखे मारे-मारे फिरते हैं: परमेश्वर के सेवक जिनको उसकी सेवा के लिए अभिषेक किया गया था नगर में भटक रहे थे नरसंहार की अदम्य लालसा से अंधे होकर। उनके वस्त्र का स्पर्श भी अशुद्धता थी।
†4:16 4:16 यहोवा ने अपने कोप से उन्हें तितर-बितर किया: शब्दशः अनुवाद है, परमेश्वर के रोष ने उन्हें तितर-बितर किया- उन निरंकुश पुरोहितों को भटकने पर विवश किया और वह फिर उन पर दयादृष्टि न करेगा।