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राष्ट्रों के बारे में यहोवा का सन्देश 
 1 यिर्मयाह नबी को ये सन्देश मिले। ये सन्देश विभिन्न राष्ट्रों के लिय हैं। 
मिस्र के बारे में सन्देश 
 2 यह सन्देश मिस्र के बारे में है। यह सन्देश निको फिरौन की सेना के बारे में है। निको मिस्र का राजा था। उसकी सेना कर्कमीश नगर में पराजित हुई थी। कर्कमीश परात नदी पर है। यहोयाकीम के यहूदा पर राज्यकाल के चौथे वर्ष बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर ने निको फिरौन की सेना को कर्कमीश में पराजित किया। यहोयाकीम राजा योशिय्याह का पुत्र था। मिस्र के लिये यहोवा का सन्देश यह है: 
 3 “अपनी विशाल और छोटी ढालों को तैयार करो। 
युद्ध के लिये कूच कर दो। 
 4 घोड़ों को तैयार करो। 
सैनिकों अपने घोड़ों पर सवार हो। 
युद्ध के लिये अपनी जगह जाओ। 
अपनी टोप पहनो। 
अपने भाले तेज करो। 
अपने कवच पहन लो। 
 5 मैं यह क्या देखता हूँ सेना डर गई है। 
सैनिक भाग रहे हैं। 
उनके वीर सैनिक पराजित हो गये हैं। 
वे जल्दी में भाग रहे हैं। 
वे पीछे मुड़कर नहीं देखते। 
सर्वत्र भय छाया है।” 
यहोवा ने ये बातें कहीं। 
 6 “तेज घावक भाग कर निकल नहीं सकते। 
शक्तिशाली सैनिक बचकर भाग नहीं सकता। 
वे सभी ठोकर खाएंगे और गिरेंगे। 
उत्तर में यह परात नदी के किनारे घटित होगा। 
 7 नील नदी सा कौन उमड़ा आ रहा है उस बलवती और तेज नदी सा कौन बढ़ रहा है 
 8 यह मिस्र है जो उमड़ते नील नदी सा आ रहा है। 
यह मिस्र है जो उस बलवान तेज नदी सा आ रहा है। 
मिस्र कहता है: ‘मैं आऊँगा और पृथ्वी को पाट दूँगा, मैं नगरों और उनके लोगों को नष्ट कर दूँगा।’ 
 9 घुड़सवारों, युद्ध में टूट पड़ो। 
सारथियों, तेज हाँकों। 
वीर सैनिकों, आगे बढ़ो। 
कूश और पूत के सैनिकों अपनी ढालें लो। 
लूदीया के सैनिकों, अपने धनुष संभालो। 
 10 “किन्तु उस दिन, हमारा स्वामी सर्वशक्तिमान यहोवा विजयी होगा। 
उस समय वह उन लोगों को दण्ड देगा जिन्हें दण्ड मिलना है। 
यहोवा के शत्रु वह दण्ड पाएंगे जो उन्हें मिलना है। 
तलवार तब तक काटेगी जब तक वह कुंठित नहीं हो जाती। 
तलवार तब तक मारेगी जब तक इसकी रक्त पिपासा बुझ नहीं जाती। 
यह होगा, क्योंकि ये हमारे स्वामी सर्वशक्तिमान यहोवा के लिए बलि भेंट होती है। 
वह बलि मिस्र की सेना है जो परात नदी के किनारे उत्तरी प्रदेश में है। 
 11 “मिस्र, गिलाद को जाओ और कुछ दवायें लाओ। 
तुम अनेक दवायें बनाओगे, किन्तु वे सहायक नहीं होंगी। 
तुम स्वस्थ नहीं होगे। 
 12 राष्ट्र तुम्हारी व्यथा की पुकार को सुनेंगे। 
तुम्हारा रूदन पूरी पृथ्वी पर सुना जाएगा। 
एक वीर सैनिक दूसरे वीर सैनिक पर टूट पड़ेगा 
और दोनों वीर सैनिक साथ गिरेंगे।” 
 13 यह वह सन्देश है जिसे यहोवा ने यिर्मयाह नबी को दिया। यह सन्देश नबूकदनेस्सर के बारे में है जो मिस्र पर आक्रमण करने आ रहा है। 
 14 “मिस्र में इस सन्देश की घोषणा करो, 
इसका उपदेश मिग्दोल नगर में दो। 
इसका उपदेश नोप और तहपन्हेस नगर में भी दो। 
‘युद्ध के लिये तैयार हो। 
क्यों क्योंकि तुम्हारे चारों ओर लोग तलवारों से मारे जा रहे हैं।’ 
 15 मिस्र, तुम्हारे शक्तिशाली सैनिक क्यों मारे जाएंगे? 
वे मुकाबले में नहीं टिकेंगे 
क्योंकि यहोवा उन्हें नीचे धक्का देगा। 
 16 वे सैनिक बार—बार ठोकर खायेंगे, वे एक दूसरे पर गिरेंगे। 
वे कहेंगे, ‘उठो, हम फिर अपने लोगों में चलें, हम अपने देश चलें। 
हमारा शत्रु हमें पराजित कर रहा है। 
हमें अवश्य भाग निकलना चाहिये।’ 
 17 वे सैनिक अपने देश में कहेंगे, 
‘मिस्र का राजा फिरौन केवल एक नाम की गूंज है। 
उसके गौरव का समय गया।’ ” 
 18 राजा का यह सन्देश है। 
राजा सर्वशक्तिमान यहोवा है। 
“यदि मेरा जीना सत्य है तो 
एक शक्तिशाली पथ दर्शक आएगा। 
वह सागर के निकट ताबोर और कर्मेल पर्वतों सा महान होगा। 
 19 मिस्र के लोगों, अपनी वस्तुओं को बाँधों, बन्दी होने को तैयार हो जाओ। 
क्यों क्योंकि नोप एक बरबाद सूना प्रदेश बनेगा नगर नष्ट होंगे और कोई भी व्यक्ति उनमें नहीं रहेगा। 
 20 “मिस्र एक सुन्दर गाय सा है। 
किन्तु उसे पीड़ित करने को उत्तर से एक गोमक्षी आ रही है। 
 21 मिस्र की सेना में भाड़े के सैनिक मोटे बछड़ों से हैं। 
वे सभी मुड़कर भाग खड़े होंगे। 
वे आक्रमण के विरुद्ध दृढ़ता से खड़े नहीं रहेंगे। 
उनकी बरबादी का समय आ रहा है। 
वे शीघ्र ही दण्ड पाएंगे। 
 22 मिस्र एक फुंफकारते उस साँप सा है 
जो बच निकलना चाहता है। 
शत्रु निकट से निकट आता जा रहा है 
और मिस्री सेना भागने का प्रयत्न कर रही है। 
शत्रु मिस्र के विरुद्ध कुल्हाड़ियों के साथ आएगा, 
वे उन पुरुषों के समान हैं जो पेड़ काटते हैं।” 
 23 यहोवा यह सब कहता है, 
“शत्रु मिस्र के वन को काट गिरायेगा। 
वन में असंख्य वृक्ष है, 
किन्तु वे सब काट डाले जायेंगे। 
शत्रु के सैनिक टिड्डी दल से भी अधिक हैं। 
वे इतने अधिक सैनिक हैं कि उन्हें कोई गिन नहीं सकता। 
 24 मिस्र लज्जित होगा, 
उत्तर का शत्रु उसे पराजित करेगा।” 
 25 इस्राएल का परमेश्वर सर्वशक्तिमान यहोवा कहता है: “मैं बहुत शीघ्र, थीबिस के देवता आमोन को दण्ड दूँगा और मैं फिरौन, मिस्र और उसके देवताओं को दण्ड दूँगा। मैं मिस्र के राजाओं को दण्ड दूँगा। मैं फिरौन पर आश्रित लोगों को दण्ड दूँगा।  26 मैं उन सभी लोगों को उनके शत्रुओं से पराजित होने दूँगा और वे शत्रु उन्हें मार डालना चाहते हैं। मैं बाबुल के राजा नबूकदनेस्सर और उसके सेवकों के हाथ में उन लोगों को दूँगा। 
“बहुत पहले मिस्र शान्ति से रहा और इन सब विपत्तियों के समय के बाद मिस्र फिर शान्तिपूर्वक रहेगा।” यहोवा ने ये बातें कहीं। 
उत्तरी इस्राएल के लिए सन्देश 
 27 “मेरे सेवक याकूब, भयभीत न हो। 
इस्राएल, आतंकित न हो। 
मैं निश्चय ही तुम्हें उन दूर देशों से बचाऊँगा। 
मैं तुम्हारे बच्चों को वहाँ से बचाऊँगा जहाँ वे बन्दी हैं। 
याकूब को पुन: सुरक्षा और शान्ति मिलेगी 
और कोई व्यक्ति उसे भयभीत नहीं करेगा।” 
 28 यहोवा यह सब कहता है: 
“याकूब मेरे सेवक, डरो नहीं। 
मैं तुम्हारे साथ हूँ। 
मैंने तुम्हें विभिन्न स्थानों में दूर भेजा 
और मैं उन सभी राष्ट्रों को पूर्णत: नष्ट करूँगा। 
किन्तु मैं तुम्हें पूर्णत: नष्ट नहीं करूँगा। 
तुम्हें उसका दण्ड मिलना चाहिये जो तुमने बुरे काम किये हैं। 
अत: मैं तुम्हें दण्ड से बच निकालने नहीं दूँगा। 
मैं तुम्हें अनुशासन में लाऊँगा, किन्तु मैं उचित ही करूँगा!”