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संगीत निर्देशक के लिये ‘नाश मत कर’ नामक धुन पर उस समय का दाऊद का एक भक्ति गीत जब वह शाऊल से भाग कर गुफा में जा छिपा था।
1 हे परमेश्वर, मुझ पर करूणा कर।
मुझ पर दयालु हो क्योंकि मेरे मन की आस्था तुझमें है।
मैं तेरे पास तेरी ओट पाने को आया हूँ।
जब तक संकट दूर न हो।
2 हे परमेश्वर, मैं सहायता पाने के लिये विनती करता हूँ।
परमेश्वर मेरी पूरी तरह ध्यान रखता है।
3 वह मेरी सहायता स्वर्ग से करता है,
और वह मुझको बचा लेता है।
जो लोग मुझको सताया करते हैं, वह उनको हराता है।
परमेश्वर मुझ पर निज सच्चा प्रेम दर्शाता है।
4 मेरे शत्रुओं ने मुझे चारों ओर से घेर लिया है।
मेरे प्राण संकट में है।
वे ऐसे हैं, जैसे नरभक्षी सिंह
और उनके तेज दाँत भालों और तीरों से
और उनकी जीभ तेज तलवार की सी है।
5 हे परमेश्वर, तू महान है।
तेरी महिमा धरती पर छायी है, जो आकाश से ऊँची है।
6 मेरे शत्रुओं ने मेरे लिए जाल फैलाया है।
मुझको फँसाने का वे जतन कर रहे हैं।
उन्होंने मेरे लिए गहरा गका खोदा है,
कि मैं उसमें गिर जाऊँ।
7 किन्तु परमेश्वर मेरी रक्षा करेगा। मेरा भरोसा है, कि वह मेरे साहस को बनाये रखेगा।
मैं उसके यश गाथा को गाया करूँगा।
8 मेरे मन खड़े हो!
ओ सितारों और वीणाओं! बजना प्रारम्भ करो।
आओ, हम मिलकर प्रभात को जगायें।
9 हे मेरे स्वमी, हर किसी के लिए, मैं तेरा यश गाता हूँ।
मैं तेरी यश गाथा हर किसी राष्ट्र को सुनाता हूँ।
10 तेरा सच्चा प्रेम अम्बर के सर्वोच्च मेघों से भी ऊँचा है।
11 परमेश्वर महान है, आकाश से ऊँची,
उसकी महिमा धरती पर छा जाये।